छोटे कारोबारियों की दिक्कतें देख दो दोस्तों ने शुरू किया 'Shipyaari', अब देश के हर कोने में डिलीवर करते हैं सामान
शिपयारी की शुरुआत 9 अप्रैल 2013 को विशाल तोतला (Vishal Totla) और नयन रतनधयारा (Nayan Ratandhayara) ने की थी. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का टर्नओवर 23 करोड़ रुपये के करीब था, जिसके इस साल दोगुना होने की उम्मीद है.
आज के वक्त में ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में बहुत सारी कूरियर कंपनियां सामने आ चुकी हैं. ऐसी भी कई लॉजिस्टिक्स कंपनियां हैं जो तमाम कूरियर कंपनियों को एक साथ लाई हैं, ताकि तमाम बिजनेस को ज्यादा से ज्यादा पिन कोड में डिलीवरी की सुविधा दी जा सके. इतना ही नहीं, अब तो कूरियर के लिए इंडिया पोस्ट के साथ पार्टनरशिप भी की जाने लगी है. हाल ही में ऐसे ही एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप शिपयारी (Shipyaari) ने इंडिया पोस्ट (India Post) के साथ पार्टनरशिप की है.
शिपयारी की शुरुआत 9 अप्रैल 2013 को विशाल तोतला (Vishal Totla) और नयन रतनधयारा (Nayan Ratandhayara) ने की थी. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का टर्नओवर 23 करोड़ रुपये के करीब था, जिसके इस साल दोगुना होने की उम्मीद है. मौजूदा वक्त में कंपनी का बिजनेस पूरे देश में है और मुंबई, गुरुग्राम, सूरत, बेंगलुरु, जयपुर, औरंगाबाद में कंपनी के ऑफिस हैं. अभी ये कंपनी करीब 29,000 पिन कोड तक डिलीवरी की सुविधा देती है.
कैसे आया शिपयारी का आइडिया?
नयन गुजराती हैं और विशाल मारवाड़ी हैं. ऐसे में दोनों की रग-रग में बिजनेस बसा हुआ है. नयन और विशाल ने अकाउंटिंग की पढ़ाई की है और सीए की डिग्री हासिल की है. सीए बनने के बाद भी उनके मन में हमेशा यही चलता रहता था कि कोई बिजनेस किया जाए, जो तेजी से स्केल हो सके. सीए बनने के बाद नयन एक टेलीशॉपिंग कंपनी में फाइनेंस डायरेक्टर थे और उस दौरान उन्हें लॉजिस्टिक्स से जुड़ी बहुत सारी दिक्कतें झेलनी पड़ीं. 2012 में ई-कॉमर्स नया-नया शुरू हुआ था और टेलीशॉपिंग में बहुत दिक्कतें आ रही थीं. तभी नयन ने छोटे प्लेयर्स के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने की सोची और विशाल के साथ मिलकर शिपयारी की शुरुआत की. इसका नाम भी ऐसा इसलिए रखा गया, क्योंकि यार पर भरोसा ज्यादा होता है और उससे कुछ भी बात कह सकते हैं. वहीं इस बिजनेस की शुरुआत भी दो दोस्तों ने ही की है. इस तरह नयन और विशाल ने इस बिजनेस का नाम शिपयारी रखा.
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इस स्टार्टअप के जरिए दोनों की कोशिश थी कि सेलर्स को अभी तक कूरियर के लिए अकाउंट खुलवाने में जो 90 दिन तक का वक्त लगता है, उसे घटाकर 90 मिनट कर दिया जाए. उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म पर तमाम कूरियर कंपनियों को जोड़ा. इससे सेलर्स का वक्त तो बचने ही लगा, साथ ही उनकी रीच भी बढ़ गई और एक कॉस्ट इफेक्टिव सॉल्यूशन भी मिल गया. वहीं कूरियर कंपनियां छोटे बिजनेस के साथ काम नहीं करती थीं और शिपयारी के चलते उन्हें इस मार्केट में भी अपनी पकड़ बनाने में मदद मिली. 2013 में जब कंपनी की शुरुआत हुई तो सिर्फ नयन और विशाल यानी दो लोग थे. आज इस कंपनी में करीब 100 लोग काम करते हैं. पिछले 10 सालों में शिपयारी ने 27-28 हजार यूजर्स के साथ काम किया है, जिनमें बायजूज़, टीसीएस और इंफोसिस जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. वहीं ये स्टार्टअप छोटे बिजनेस और घर से ही काम करने वालों को भी सेवा मुहैया करता है.
5 तरह के हैं कंपनी के बिजनेस
जब नयन और विशाल ने शिपयारी की शुरुआत की थी, जब यह कंपनी सिर्फ कूरियर करती थी, लेकिन बाद में बी2बी समेत कई बिजनेस में अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी है. इस कंपनी के 5 तरह के बिजनेस हैं.
1- पहला है कूरियर, जिसके तहत कंपनी सेलर्स से कूरियर को ग्राहकों तक पहुंचाती है.
2- दूसरा है बी2बी ट्रांसपोर्टेशन और बल्क मूवमेंट, जिसके तहत ट्रक कार्गो वगैरह का ध्यान रखा जाता है. कंपनी इस सेगमेंट में 2019 के करीब घुसी थी.
3- तीसरा बिजनेस है हाइपरलोकल का, जिसके तहत कंपनी 5-10 किलोमीटर के रेडियस में ई-कॉमर्स कंपनियों को क्विक डिलीवरी की सेवा मुहैया कराती है.
4- चौथे बिजनेस के तहत कंपनी इंटरनेशनल कूरियर की सेवा भी मुहैया करती है.
5- कंपनी का पांचवा बिजनेस है वेयरहाउसिंग का, जिसके तहत कंपनियों को इन्वेंट्री रखने की सुविधा दी जाती है.
इंडिया पोस्ट की डील से होगा फायदा
हाल ही में शिपयारी ने इंडिया पोस्ट के साथ पार्टनरशिप की है. नयन बताते हैं कि पहले की तुलना में इंडिया पोस्ट में बहुत कुछ बदल चुका है. पहले पार्सल लेट होते थे और डैमेज भी हो जाते थे. वहीं अगर आज की बात करें तो सब कुछ बदल चुका है. इंडिया पोस्ट की टेक्नोलॉजी बेहतर हो गई है. अब युवाओं ने इंडिया पोस्ट की कमान अपने हाथों में ले ली है, जो ज्यादा एनर्जी वाले हैं और तेजी से काम करते हैं. सरकार भी अपने इस नेटवर्क को लगातार बेहतर बना रही है. इंडिया पोस्ट के साथ पार्टनरशिप के बाद अब शिपयारी के शिपमेंट देश के हर कोने में पहुंच सकेंगे. इंडिया पोस्ट की मदद से रिमोट इलाकों तक भी सामान भेजा सकेगा.
क्या होती है यूजर जर्नी?
शिपयारी के साथ जुड़ने के लिए यूजर को पहले शिपयारी के पैनल पर जाना होता है और वहां केवाईसी पूरा करना होता है. महज 15 मिनट में अकाउंट खुल जाता है. इसके बाद आपको अपना अकाउंट एक अमाउंट से रिचार्ज करना होता है. फिर आप अपना ऑर्डर डाल सकते हैं, जिसके लिए अपने प्रोडक्ट की डीटेल्स, पिकअप एड्रेस, डिलीवरी एड्रेस और पेमेंट से जुड़ी जानकारी डालकर सबमिट करना होता है. इसके बाद कंपनी का डिलीवरी एग्जिक्युटिव आकर पार्सल ले जाएगा और आपकी बताई जगह पर डिलीवर कर देगा. ऑर्डर बनाते वक्त ही आपसे इस पूरी सर्विस के लिए चार्ज ले लिया जाएगा.
क्या है कंपनी का रेवेन्यू मॉडल?
शिपयारी का रेवेन्यू मॉडल सीधा-सीधा यही है कि वह प्रति ऑर्डर के हिसाब से पैसे लेती है. कंपनी कोई प्लेटफॉर्म फीस नहीं लेती है. सामान भेजने पर जो मार्जिन मिलता है, वही कंपनी की कमाई है. कंपनी अपने तमाम बिजनेस में सेवा के लिए एक कमीशन लेती है और यही उसकी कमाई होती है.
चुनौतियां भी खूब झेली हैं कंपनी ने
अगर कुछ साल पहले तक की बात करें तो लोग 4-5 दिन में डिलीवरी के लिए तैयार थे. अब लोगों को ई-कॉमर्स पार्सल फटाफट चाहिए होते हैं. लोग अमेजन से तुलना करते हैं कि एक दिन में ही कूरियर डिलीवर हो जाए. फास्ट डिलीवरी के लिए कंपनी ने हाल में ही शिपयारी स्प्रिंट नाम की एक सेवा शुरू की है, जिसमें अमेजन की तरह ही जल्द से जल्द कूरियर डिलीवर किया जा सकता है. यानी इस सेवा से तेज डिलीवरी की सुविधा मिलेगी.
फंडिंग और फ्यूचर प्लान
अगर बात करें फंडिंग की तो यह कंपनी 10 साल से काम कर रही है और बूटस्ट्रैप्ड है. अभी यह कंपनी फंडिंग लेने के बारे में भी कुछ सोच नहीं रही है. नयन का कहना है कि जब सही समय आएगा तो ही फंडिंग लेंगे. वहीं अगर बात करें फ्यूचर प्लान की तो शिपयारी की कोशिश है कि शिपिंग की ताकत ग्राहकों के हाथों में दी जाए. अभी तक सेलर ही तय करता है कि शिपिंग किस कूरियर कंपनी से होगी, कितना चार्ज लगेगा और कितना वक्त लगेगा. वहीं अब कंपनी की कोशिश है इसे बायर्स के हाथों में ट्रांसफर करने की, ताकि वह तय कर सकें कि सामान उन्हें कब चाहिए और किससे चाहिए. यही वजह है कि शिपयारी के लोगो में aa है, जिसका मतलब एक्सेस से एस्पिरेशन तक है. हालांकि, इसके लिए उन्हें कुछ अतिरिक्त पैसे चुकाने पड़ सकते हैं.
06:00 AM IST